Javascript must be enabled to continue!
पं० जगन्नाथ के लोक साहित्य में सामाजिक मूल्य
View through CrossRef
सामाजिक मूल्य वे सिद्धांत हैं जो किसी भी समाज में लोगों के व्यवहार और क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये मूल्य सामाजिक व्यवहार, संवेदनशीलता और पारस्परिक सम्मान पर आधारित होते हैं और एक सुव्यवस्थित समाज का निर्माण करते हैं। प्रमुख सामाजिक मूल्यों में दूसरों के प्रति सम्मान रखना, परस्पर विचारों को आदर देना, सहयोग, सच्चाई, ईमानदारी, सबके प्रति न्याय, समानता का व्यवहार, दूसरों के प्रति दया, अपने कर्त्तव्यों को निभाने का भाव और समाज में सद्भावना बनाए रखना शामिल हैं। ये मूल्य समाज में एकता, सुख और शांति का संचार करते हैं और लोगों को एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदार और संवेदनशील बनाते हैं। प्रस्तुत शोध पत्र में पं० जगन्नाथ के लोक साहित्य में निहित सामाजिक मूल्यों का वर्णन किया गया है। पंडित जगन्नाथ हरियाणा के एक प्रसिद्ध लोक कवि और गायक थे। पं० जगन्नाथ के लोक साहित्य में सामाजिक मूल्यों का विशेष स्थान है जो समाज में नैतिकता, कर्त्तव्यपालन, सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और समानता के सिद्धांतों को बल देते हैं। उनके लोक साहित्य का उद्देश्य समाज में नैतिकता और एकता की भावना का प्रचार करना है। पं० जगन्नाथ के साहित्य में समाज के विभिन्न पहलुओं को छूने वाले मूल्य अत्यंत गहनता से प्रस्तुत किए गए हैं। उनके लेखन में सामूहिकता, सहयोग और भाईचारे की भावना को बढ़ावा दिया गया है जो किसी भी समाज की मजबूती का आधार होती है। उनका साहित्य समाज में विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों के बीच सामंजस्य और सह-अस्तित्व की शिक्षा देता है। उनका मानना है कि समाज तभी विकसित हो सकता है जब उसमें सभी लोग मिलजुल कर एकता और प्रेमपूर्वक रहें। पं० जगन्नाथ के लोक साहित्य में नैतिकता और कर्त्तव्यपालन की भावना का स्थान सर्वोपरि है। उनकी रचनाओं में आदर्श व्यवहार, सत्यता, ईमानदारी और कर्त्तव्यपालन जैसे सामाजिक मूल्यों की चर्चा की गई है जो व्यक्ति को सही और गलत का बोध कराते हैं और समाज में एक अच्छे नागरिक के गुण विकसित करते हैं।
Granthaalayah Publications and Printers
Title: पं० जगन्नाथ के लोक साहित्य में सामाजिक मूल्य
Description:
सामाजिक मूल्य वे सिद्धांत हैं जो किसी भी समाज में लोगों के व्यवहार और क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये मूल्य सामाजिक व्यवहार, संवेदनशीलता और पारस्परिक सम्मान पर आधारित होते हैं और एक सुव्यवस्थित समाज का निर्माण करते हैं। प्रमुख सामाजिक मूल्यों में दूसरों के प्रति सम्मान रखना, परस्पर विचारों को आदर देना, सहयोग, सच्चाई, ईमानदारी, सबके प्रति न्याय, समानता का व्यवहार, दूसरों के प्रति दया, अपने कर्त्तव्यों को निभाने का भाव और समाज में सद्भावना बनाए रखना शामिल हैं। ये मूल्य समाज में एकता, सुख और शांति का संचार करते हैं और लोगों को एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदार और संवेदनशील बनाते हैं। प्रस्तुत शोध पत्र में पं० जगन्नाथ के लोक साहित्य में निहित सामाजिक मूल्यों का वर्णन किया गया है। पंडित जगन्नाथ हरियाणा के एक प्रसिद्ध लोक कवि और गायक थे। पं० जगन्नाथ के लोक साहित्य में सामाजिक मूल्यों का विशेष स्थान है जो समाज में नैतिकता, कर्त्तव्यपालन, सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और समानता के सिद्धांतों को बल देते हैं। उनके लोक साहित्य का उद्देश्य समाज में नैतिकता और एकता की भावना का प्रचार करना है। पं० जगन्नाथ के साहित्य में समाज के विभिन्न पहलुओं को छूने वाले मूल्य अत्यंत गहनता से प्रस्तुत किए गए हैं। उनके लेखन में सामूहिकता, सहयोग और भाईचारे की भावना को बढ़ावा दिया गया है जो किसी भी समाज की मजबूती का आधार होती है। उनका साहित्य समाज में विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों के बीच सामंजस्य और सह-अस्तित्व की शिक्षा देता है। उनका मानना है कि समाज तभी विकसित हो सकता है जब उसमें सभी लोग मिलजुल कर एकता और प्रेमपूर्वक रहें। पं० जगन्नाथ के लोक साहित्य में नैतिकता और कर्त्तव्यपालन की भावना का स्थान सर्वोपरि है। उनकी रचनाओं में आदर्श व्यवहार, सत्यता, ईमानदारी और कर्त्तव्यपालन जैसे सामाजिक मूल्यों की चर्चा की गई है जो व्यक्ति को सही और गलत का बोध कराते हैं और समाज में एक अच्छे नागरिक के गुण विकसित करते हैं।.
Related Results
कृष्णा सोबती के उपन्यासों में चित्रित नैतिक समस्याएँ
कृष्णा सोबती के उपन्यासों में चित्रित नैतिक समस्याएँ
भारतीय साहित्य के परिदृश्य पर हिन्दी की सुविख्यात कथाकार कृष्णा सोबतीजी के उपन्यासों में चित्रित नैतिक समस्याओं पर प्रकाश डालने पर ज्ञात होता है। कृष्णाजी ने अपने उपन्यासों में उन ...
कृष्णा सोबती के उपन्यासों में चित्रित आर्थिक समस्याएँ
कृष्णा सोबती के उपन्यासों में चित्रित आर्थिक समस्याएँ
हिन्दी की सुविख्यात लेखिका कृष्णा सोबती जी ने अपने उपन्यासों में अधिकतर समाज के मध्यवर्ग को चित्रित किया है। जिसके अन्तर्गत उच्च मध्यवर्ग व मध्यवर्ग दोनों का ही समावेश है। मध्यवर्ग...
CONTEMPORARY EFFECTS ON MADHUBANI FOLK PAINTING
CONTEMPORARY EFFECTS ON MADHUBANI FOLK PAINTING
Today, artists are doing new experiments in Madhubani folk painting, these experiments are natural as well with changing times. This change is the eternal truth of nature. We belie...
प्रेमचंद की कहानियों में सामाजिक यथार्थ
प्रेमचंद की कहानियों में सामाजिक यथार्थ
हिंदी साहित्य के इतिहास में मुंशी प्रेमचंद का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से भारतीय समाज की उस सच्चाई को प्रस्तुत किया, जिसे अक्सर उपेक्षित किया जा...
समकालीन विमर्श के विभिन्न आयाम
समकालीन विमर्श के विभिन्न आयाम
यह सदी विमर्शों की सदी है । यानि समाज की किसी भी समस्या पर चर्चा–परिचर्चा, संवाद, तर्क–वितर्क आदि । दूसरे शब्दों में कहा जाये तो जब व्यक्ति किसी समूह में किसी विषय पर चिन्तन अथचा च...
पं० जगन्नाथ के लोक साहित्य में भक्ति-भावना
पं० जगन्नाथ के लोक साहित्य में भक्ति-भावना
प्रस्तुत शोध सारांश कला का प्रतीक रूप में अध्ययन करता है तथा हार्वड गार्डनर नामक विद्वान द्वारा प्रस्तुत बालको की कला में प्रयुक्त प्रतीक तथा विभिन्न कलाकारों द्वारा उनकी कलाकृतियो...
Sathottari bal kavita main prakrati chitran evam paryawaran bodh
Sathottari bal kavita main prakrati chitran evam paryawaran bodh
प्रस्तावना बाल साहित्य में कविता विधा बच्चों के लिए सबस े सहज, सरल और ग्राह्य विधा है। कविता के माध्यम से दिया हुआ संदेश बच्चों को न केवल रुचिकर लगता है। अपितु उनके लिए प्र ेरणा का...
15वीं लोकसभा चुनावों का संदर्भ में विश्लेषण का अध्ययन
15वीं लोकसभा चुनावों का संदर्भ में विश्लेषण का अध्ययन
भारत के 2009 के 15वें लोकसभा चुनावों में प्रमुख राजनीतिक घटनाक्रम और चुनावी गतिशीलता देखी गई। 543 सीटों में से 206 सीटों पर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) सबसे बड़ी पार्टी थी और ...


